झारखंड विस चुनाव / पार्टी बदली, पर चुनाव लड़ने से पहले किसी ने नहीं छोड़ी विधायकी

 




 

रांची. विधानसभा चुनाव से पहले नेताआें ने पार्टियां ताे बदलीं, लेकिन दूसरे दल से चुनाव लड़ने से पहले किसी ने इस्तीफा नहीं दिया। 2014 चुनाव में दर्जनभर विधायक जिस दल से विधायक बने, इस बार वे किसी दूसरी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। पार्टी बदलने के बाद भी उन्होंने अपनी विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया है। हालांकि, इस्तीफा देना नेताओं की संवैधानिक बाध्यता नहीं है, पर राजनीति में सुचिता के लिए कई नेता पार्टी बदलने के बाद अादर्श भी प्रस्तुत करते रहे हैं।


इस कड़ी में एकमात्र नाम सरयू राय का है, जिन्होंने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने के साथ मंत्री पद और विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। वे जमशेदपुर पूर्वी सीट से भाजपा प्रत्याशी रघुवर दास के विरुद्ध खड़े हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में वे भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में जमशेदपुर पश्चिमी से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे।
 


ये नेता चुनावी मैदान में उतरे... पर नहीं दिया इस्तीफा
 


फूलचंद मंडल- भाजपा के टिकट पर 2014 में विधायक बने। इस बार सिंदरी में झामुमो टिकट पर भाजपा को चुनौती दे रहे हैं।


कुशवाहा शिवपूजन मेहता- 2014 में बसपा के टिकट पर हुसैनाबाद से जीते। इस बार वे आजसू से बसपा के खिलाफ खड़े हैं।


कुणाल षाड़ंगी- 2014 के चुनाव में झामुमो के टिकट पर बहरागोड़ा से विधायक बने थे। इस बार दल बदल कर भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं।


विकास मुंडा-  आजसू के टिकट पर विधायक चुने गए। इस चुनाव में तमाड़ से झामुमो से चुनावी मैदान में हैं।


जेपी पटेल- झामुमो से 2014 में विधायक बने। इस चुनाव में झामुमो के विरुद्ध भाजपा के टिकट पर खड़े हैं।


प्रकाश राम- झाविमो के टिकट पर विधायक बने प्रकाश राम इस बार लातेहार में भाजपा से झाविमो को चुनौती दे रहे हैं।


सुखदेव भगत-  कांग्रेस के टिकट पर लोहरदगा से चुनाव जीते। अबकी बार भाजपा से कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़े।


मनोज यादव- कांग्रेस के टिकट पर बरही से चुनाव लड़े थे। इस बार भाजपा से कांग्रेस काे चुनौती दे रहे हैं।


शशिभूषण सामड- चक्रधरपुर से झामुमो का तीर लेकर 2014 में निशाना साधा था। इस बार चुनाव में झामुमो के खिलाफ झाविमो से खड़े हैं।
 


राधाकृष्ण किशोर- भाजपा के टिकट पर छतरपुर से चुनाव जीते थे, इस बार भाजपा को आजसू से चुनौती दे डाला है।


पाैलुस सुरीन- पिछली बार तोरपा से झामुमो के विधायक चुने गए थे। इस बार निर्दलीय झामुमो को पटखनी देने में लगे हैं।


भानु प्रताप शाही-  नौजवान संघर्ष मोर्चा से भवनाथपुर सीट पर जीते थे। इस बार वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है।